Makara Sankranti, or makar sankranti 2019 in hindi me janne ke lia iss page par bane rahiye or janiye Makar Sankranti kase manate he.

हिन्दुओं के प्रमुख पर्व में से एक हे मकर संक्रांति का पर्व जिसे अलग-अलग राज्यों, शहरों और गांवों में वहां की परंपराओं के अनुसार मनाया जाता है| इसी दिन भारत के अलग-अलग राज्यों में गंगा नदी के किनारे माघ मेला या गंगा स्नान का आयोजन किया जाता है| कुंभ के पहले स्नान की शुरुआत भी इसी दिन से होती है|
Makar Sankranti
Makar Sankranti

क्या है मकर संक्रांति

सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में जाने को ही संक्रांति कहते हैं| इसी दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाते है, शास्त्रों में यह समय देवताओं का दिन और दक्षिणायन को देवताओं की रात्रि कहा गया है| मकर संक्रांति देवताओं का प्रभात काल है| इस दिन स्नान, दान, जप, तप, भक्ति और अनुष्ठान आदि का बहुत महत्व होता है| स्नान पूण्य के साथ-साथ स्वास्थ्य की नजरो से भी लाभदायक माना गया है| और गीता के अनुसार जो व्यक्ति उत्तरायण में अपने शरीर का त्याग करता है, वह श्री कृष्ण के परम धाम में निवास करता है। मकर संक्रांति के बाद गरम मौसम की शुरुआत हो जाती है|
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मकर संक्रांति के विभिन्न नाम

वर्ष 2019 में मकर संक्राति का त्यौहार 14 जनवरी को मनाया जाएगा। इस पर्व को पूरे देश में अलग-अलग नाम से मनाया जाता है|

उत्तर प्रदेश में (मकर संक्रांति):- मकर संक्रांति को खिचड़ी पर्व कहा जाता है, इस दिन सूर्य की पूजा की जाती है, दाल और चावल की खिचड़ी खाई और दान की जाती है|

गुजरात और राजस्थान में (उत्तरायण):- गुजरात और राजस्थान में उत्तरायण पर्व के रूप में मनाया जाता है, और पतंग उत्सव का आयोजन किया जाता है|

आंध्रप्रदेश में (संक्रांति):- आंध्रप्रदेश में संक्रांति के नाम से तीन दिन का पर्व मनाया जाता है|

तमिलनाडु में (ताइ पोंगल, उझवर तिरुनल):- तमिलनाडु में किसानों का ये प्रमुख पर्व पोंगल के नाम से मनाया जाता है, इस दिन घी में दाल-चावल की खिचड़ी पकाई और खिलाई जाती है|

महाराष्ट्र में (मकर): महाराष्ट्र में लोग गजक और तिल के लड्डू खाते हैं और एक दूसरे को भेंट देकर शुभकामनाएं देते हैं|

पश्चिम बंगाल में (पौष संक्रान्ति):- बंगाल में हुगली नदी पर गंगा सागर मेले का आयोजन किया जाता है|

असम में (भोगली बिहू):- असम में भोगली बिहू के नाम से इस पर्व को मनाया जाता है|

पंजाब में (लोहड़ी):- पंजाब में इस दिन को एक दिन पहले ही रात्रि के समय लोहड़ी पर्व के रूप में मनाया जाता है, इसे बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है, और पंजाब में एक समारोहों का आयोजन किया जाता है|

कश्मीर घाटी में (शिशुर सेंक्रात), हरियाणा, हिमाचल प्रदेश में (माघी) और कर्नाटक में (मकर संक्रमण) के नाम से जाना जाता है|

कैसे मनाएं मकर संक्रांति

1. इस दिन प्रातःकाल उबटन (हल्दी) आदि लगाकर तीर्थ के जल से मिश्रित जल से स्नान करें।
2. यदि तीर्थ का जल उपलब्ध न हो तो दूध, दही से स्नान करें।
3. तीर्थ स्थान या पवित्र नदियों में स्नान करने का अधिक महत्व है।
4. स्नान के उपरांत नित्य कर्म तथा अपने आराध्य देव की आराधना करें।
5. पुण्यकाल में दांत मांजना, कठोर बोलना, फसल तथा वृक्ष का काटना, गाय, भैंस का दूध निकालना व मैथुन काम विषयक कार्य कदापि नहीं करना चाहिए।
6. इस दिन पतंगें उड़ाए जाने का विशेष महत्व है।

मकर संक्रांति पर्व के पकवान

अलग-अलग मान्यताओं के अनुसार इस पर्व के पकवान भी अलग-अलग होते हैं, लेकिन दाल और चावल की खिचड़ी इस पर्व की प्रमुख पहचान बन चुकी है। विशेष रूप से गुड़ और घी के साथ खिचड़ी खाने का महत्व है। इसेक अलावा तिल और गुड़ का भी मकर संक्राति पर बेहद महत्व है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर तिल का उबटन कर स्नान किया जाता है। इसके अलावा तिल और गुड़ के लड्डू एवं अन्य व्यंजन भी बनाए जाते हैं। इस समय सुहागन महिलाएं सुहाग की सामग्री का आदान प्रदान भी करती हैं। ऐसा माना जाता है कि इससे उनके पति की आयु लंबी होती है।

मकर संक्रांति पूजा मंत्र

मकर संक्रांति के दिन सूर्यदेव की निम्न मंत्रों से पूजा करनी चाहिए:
ऊं सूर्याय नम:
ऊं आदित्याय नम:
ऊं सप्तार्चिषे नम:
ऋड्मण्डलाय नम:
ऊं सवित्रे नम:
ऊं वरुणाय नम:
ऊं सप्तसप्त्ये नम:
ऊं मार्तण्डाय नम:
ऊं विष्णवे नम:

मकर संक्रान्ति पर तुलसी की पूजा का महत्व

इस दिन सुहागन महिलाएं पुण्यकाल में स्नान कर तुलसी की आराधना और पूजा करती हैं, इस दिन महिलाएं मिट्टी से बना छोटा घड़ा, जिसे सुहाणा चा वाण कहते हैं, इस में तिल के लड्डू, सुपारी, अनाज, खिचड़ी और दक्षिणा रखकर दान का संकल्प लेती हैं|

तिला दान का महत्व

धर्मग्रंथों और लोकश्रुतियों में इस दिन को बहुत विशेष बताया गया है. इस दिन दान का विशेष महत्व है, विशेष कर तिल दान का महिलाएं पूजा करते वक्त सुहाग की निशानियों को चढ़ाती हैं और फिर इन्हें 13 सुहागनों को बांटती हैं|

बेटियों को दान

सिंधी समाज में संक्रांति पर कन्याओं दान दिया जाता है. इस दिन पूर्वजों के नाम पर बेटियों को आटे के लड्डू, तिल के लड्डू, चिक्की और मेवा (स्यारो) दान स्वरूप दी जाती है|

मकर संक्रान्ति का ऐतिहासिक महत्व 

ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान भास्कर अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उसके घर जाते हैं। चूँकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं, अत: इस दिन को मकर संक्रान्ति के नाम से जाना जाता है। महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिये भी मकर संक्रान्ति के दिन का ही चयन किया था। और मकर संक्रान्ति के दिन ही गंगाजी भगवान शिव की जटाओं से निकलकर भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में जाकर मिली थीं।

पतंग उड़ाने की मान्यता

इन सभी मान्यताओं के अलावा मकर संक्रांति पर्व एक उत्साह और भी जुड़ा है। इस दिन पतंग उड़ाने का भी विशेष महत्व होता है और लोग बेहद आनंद और उल्लास के साथ पतंगबाजी करते हैं। इस दिन कई स्थानों पर पतंगबाजी के बड़े-बड़े आयोजन भी किए जाते हैं।
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