Ganesh mantra

Ganesh Chaturti par Bagwan Ganesh mantra, ganesh puja, ganesh sthapana vidhi in hindi or unki ganesh katha in hindi me janiye.

गणेश मंत्र  (Ganesh mantra)

Ganesh mantra, ganesh pujan
Ganesh mantra

Shree Vakratunda Mahakaya

श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥

Ganesha Shubh Labh Mantra

ॐ श्रीम गम सौभाग्य गणपतये
वर्वर्द सर्वजन्म में वषमान्य नमः॥ 

Ganpati Gayatri Mantra

ॐ एकदन्ताय विद्धमहे, वक्रतुण्डाय धीमहि,
तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥ 

Also read 

भगवान गणेश की मूर्ति स्थापना करते समय रखें इन बातों का ध्यान

Ganesh Chathurti
Ganesh Chathurti

 

गणेश चतुर्थी को भगवान गणेश जी के भक्त उनके आगमन की तैयारियां करते  हैं। इस अवसर पर घर में गणेश जी मूर्ति मेहमान बनकर दस दिनों तक रहती है. रोजाना गणेश जी की मूर्ति की पूजा की जाती है। और उन्हें भोग लगाया जाता है।  अगर थोड़ी सावधानी और ध्यान मूर्ति की स्थापना के वक्त रखा जाये तो भगवान गणेश जी की पूजा से दोगुने फल की प्राप्ति होती है। तो आज हम आपको बतातें है भगवान गणेश जी की मूर्ति की स्थापना के वक्त क्या करें।

मूर्ति की स्थापना के वक्त क्या करें

  • गणेश जी स्थापना गणेश चुतुर्थी के दिन होती है।
  • उनकी स्थापना के दिन सबसे पहले घर की सफाई करें और उसके बाद खुद स्नान करें।
  • कोशिश करें कि घर के कोने-कोने में धूप-अगरबत्ती जलाएं जिससे घर का शुद्दिकरण हो जाये।
  • गणेश जी स्थापना घर के उत्तर दिशा की ओर होनी चाहिए।
  • जहां मूर्ति स्थापना करनी हों वहां सबसे पहले लाल रंग का नया वस्त्र पहनाएं।
  • अब वस्त्र के ऊपर गणेश जी को स्थापित करें।
  • अब एक कलश में पानी भरने के बाद उसका मुंह लाल रंग के कपड़े से ढंक देना चाहिए।
  • कलश में रोली और अक्षत को भी डाल कर रख सकते हैं।
  • अब कलश को गणेश जी के बगल में रख दीजिये।
  • गणपति जी को फूल और नये रंगीन वस्त्रों से सजाना चाहिए।
  • रोली, फूल चढ़ाते हुए सुगंधित धूप और दीप से गणेश जी की पूजा करनी चाहिए।
  • उसके बाद उन्हें मोदक या लड्डू का भोग लगाना चाहिए।
  • पूजा के दौरान “गं गणपतये नमः” मंत्र का जाप करना चाहिए।
  • गणपति जी अराधना करने के बाद आरती करनी चाहिए और प्रसाद लोगों में बांटना चाहिए।

भगवान गणेश जी का आवास-काल

ये जातक के ऊपर निर्भर करता है कि वो अपने घर में गणेश जी की मूर्ति को कितने दिनों के लिए लेकर आया है। लोग गणेश जी को 1 दिन 3 दिन 5 दिन या 7 दिन के लिए लाते हैं तो कहीं-कहीं पर पूरे 10 दिन तक के लिए गणपति जी विराजते हैं।

भगवान गणेश जी की मूर्ति विसर्जन

जातक अपने घर में विराजित भगवान गणेश जी की मूर्ति को नियम अनुसार गणेश जी की मूर्ति को विसर्जित कर सकतें है| मूर्ति विसर्जन हमेशा तालाब या किसी नदी में घर के किसी पुरूष के हाथों ही होनि चाहिए।

रत्येक शुक्ल पक्ष चतुर्थी को चन्द्रदर्शन के पश्चात्‌ व्रती को आहार लेने का निर्देश है, इसके पूर्व नहीं। किंतु भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को रात्रि में चन्द्र-दर्शन (चन्द्रमा देखने को) निषिद्ध किया गया है।  जो व्यक्ति इस रात्रि को चन्द्रमा को देखते हैं उन्हें झूठा-कलंक प्राप्त होता है। ऐसा शास्त्रों का निर्देश है। यह अनुभूत भी है।

 

गणेश चतुर्थी को चंद्र दर्शन क्यों नहीं करना चाहिए

प्रत्येक शुक्ल पक्ष चतुर्थी को चन्द्रदर्शन के पश्चात्‌ व्रती को आहार लेने का निर्देश है, इसके पूर्व नहीं। किंतु भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को रात्रि में चन्द्र-दर्शन (चन्द्रमा देखने को) निषिद्ध किया गया है।  जो व्यक्ति इस रात्रि को चन्द्रमा को देखते हैं उन्हें झूठा-कलंक प्राप्त होता है। ऐसा शास्त्रों का निर्देश है। यह अनुभूत भी है।

चन्द्र-दर्शन से बचाव का मंत्र

इस गणेश चतुर्थी को चन्द्र-दर्शन करने वाले व्यक्तियों को उक्त परिणाम अनुभूत हुए, इसमें संशय नहीं है। यदि जाने-अनजाने में चन्द्रमा दिख भी जाए तो निम्न मंत्र का पाठ अवश्य कर लेना चाहिए-

‘सिहः प्रसेनम्‌ अवधीत्‌, सिंहो जाम्बवता हतः। सुकुमारक मा रोदीस्तव ह्येष स्वमन्तकः॥’

गणेश चतुर्थी को चन्द्र-दर्शन की कथा

एक दिन गणेश जी चूहे की सवारी करते समय फिसल गये तो चन्द्रमा को उन्हें देख कर हंसी आ गयी। इस बात पर गणेश जी काफी क्रोधित होकर चन्द्रमा को श्राप दे दिया कि चन्द्र अब तुम किसी के देखने के योग्य नहीं रह जाओगे और यदि किसी ने तुम्हें देख लिया तो पाप का भागी होगा।
श्राप देकर गणेश जी वहॉ से चले गये। चन्द्रमा दुःखी व चिन्तित होकर मन नही मन अपराधबोध महसूस करने लगे कि सर्वगुण सम्पन्न देवता के साथ ये मैंने क्या कर दिया ? चन्द्रमा के दर्शन न कर पाने के श्राप से देवता भी दुःखी हो गये।
तत्पश्चात देवराज इन्द्र के नेतृत्व में सभी देवताओं ने गजानन श्री गणेश जी की प्रार्थना और स्तुति प्रारम्भ कर दी। देवताओं की स्तुति से प्रसन्न होकर गणेश जी ने वर मॉगने को कहा। सभी देवताओं ने कहा प्रभु चन्द्रमा को पहले जैसा कर दो, यही हमारा निवेदन है। गणेश जी ने देवताओ से कहा कि मैं अपना श्राप वापस तो नहीं ले सकता हूं। किन्तु उसमें कुछ संशोधन कर सकता हूं। जो व्यक्ति जाने-अनजाने में भी भाद्र शुक्ल चतुर्थी को चन्द्रमा के दर्शन कर लेगा, वह अभिशप्त होगा और उस पर झूठे आरोप लगाये जायेंगे। यदि इस दिन दर्शन हो जाये तो इस पाप से बचने के लिए निम्न मन्त्र का पाठ करे-

" सिंह प्रसेनमवधीत्सिंहो जाम्बवता हतः सुकुमारक मा रोदीस्तव ह्रोष स्यमन्तक"

देवताओं ने चन्द्र से कहा तुमने गणेश जी पर हंसकार उनका अपमान किया है और हम लोगों ने मिलकर तुम्हारे अपराध को माफ करने की क्षमा-याचना की है, जिससे प्रसन्न होकर गजानन से सिर्फ एक वर्ष में भाद्र शुक्ल चतुर्थी को अदर्शनीय रहने का वचन देकर अपना श्राप अत्यन्त आशिंक कर दिया है। आप भी गणेश जी की शरण में जाकर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर शुद्ध होकर संसार को शीतलता प्रदान करें।

Post a Comment

0 Comments